हर पल बदलते इस दौर में, मैं अपने लिए वक्त ढूँढता मैं,
रिश्तों की इस उलझन में, एक सच्चा नाता ढूँढता मैं।
हज़ारों रंग बिखेरते चेहरों में, अपने सपनों की शहज़ादी को ढूँढता मैं,
कागज़ के फूलों में, जीवन की वो महक ढूँढता मैं।
वक्त के हर कदम पर, अपना हिस्सा ढूँढता मैं,
जीवन की इस भूलभुलैया में, अपनी पहचान ढूँढता मैं।
हर नई सुबह में, आशाओं की किरणें ढूँढता मैं,
जीवन की कठिन डगर में, अपने आत्मबल का संबल ढूँढता मैं।
सरलता की राहों में, मेरे सपनों का आशियाँ बसाता मैं,
खामोशी के सागर में, अपनी धुन का संगीत ढूँढता मैं।
जीवन के इन सवालों में, अपनी खुद की तलाश में,
सच्चाई की राह पर, अपने विचारों को सत्य का आईना ढूँढता मैं।
संघर्ष की इस दौड़ में, अपनी मंजिल का सुराग ढूँढता मैं,
होंठों पर मुस्कान के लिए, जीवन की खुशियों की जड़ें ढूँढता मैं।
हाँ, अपना वक्त ढूँढता मैं, वक्त जो मेरे सपनों को पंख दे।
चलते-चलते इस जीवन के पथ पर, मैं अपनी खुद की राह ढूँढता मैं,
बदलते मौसम में, हर पल की ताजगी को महसूसता मैं।
उड़ान भरते पंछियों में, अपने सपनों की उड़ान ढूँढता मैं,
नीले आसमान में, अपने अरमानों का आकाश ढूँढता मैं।
हर रंगीन शाम में, जीवन के अनेक रंगों को ढूँढता मैं,
चाँदनी रातों में, अपनी कल्पनाओं की चाँदनी ढूँढता मैं।
गहरे सागर की लहरों में, जीवन की गहराईयों को ढूँढता मैं,
पहाड़ों की चोटी पर, अपनी आत्मा की ऊँचाइयों को ढूँढता मैं।
सन्नाटे की इस गहराई में, अपने विचारों की गूँज ढूँढता मैं,
शोर की इस भीड़ में, अपने मन की शांति ढूँढता मैं।
जिंदगी के इस सफर में, हर राह पर नई कहानी ढूँढता मैं,
खोजता हूँ उन पलों को, जो मेरे लिए, सिर्फ मेरे हों।
बिखरे हुए तारों में, अपने भाग्य की चमक ढूँढता मैं,
रात की अंधेरी गलियों में, सुबह की रोशनी का वादा ढूँढता मैं।
बरसती बूंदों में, जीवन की सादगी और ताजगी को ढूँढता मैं,
हवा के झोंकों में, अपनी आज़ादी का एहसास ढूँढता मैं।
हर मोड़ पर नई उम्मीद के साथ, अपने वक्त का पता ढूँढता मैं,
जीवन की इस खूबसूरत यात्रा में, अपना अस्तित्व ढूँढता मैं।
हर सूर्योदय में, नई शुरुआत की किरणें ढूँढता मैं,
अंतहीन आकाश में, अपनी उड़ान का विस्तार ढूँढता मैं।
नदियों के कलकल बहते जल में, जीवन की गति को ढूँढता मैं,
खेतों की हरियाली में, अपने अरमानों की उर्वरता ढूँढता मैं।
रात के सन्नाटे में, अपने ख्यालों का संगीत ढूँढता मैं,
अनगिनत तारों के बीच, अपनी आकांक्षाओं का आकाश ढूँढता मैं।
वन्य जीवन की उमंग में, अपने जीवन की विविधता ढूँढता मैं,
जंगल की गहराइयों में, अपने वजूद की रहस्यमयता ढूँढता मैं।
बहती हवाओं के साथ, अपनी स्वतंत्रता की खुशबू ढूँढता मैं,
आसमानी बादलों के खेल में, अपनी कल्पनाओं का विस्तार ढूँढता मैं।
मौन रात्रि के आँचल में, अपनी अनकही बातें ढूँढता मैं,
अरुणिमा की पहली किरण में, नई आशा की ज्योति ढूँढता मैं।
पतझड़ के पत्तों में, जीवन के परिवर्तन की सार्थकता ढूँढता मैं,
वसंत के फूलों में, नवीनता और पुनर्जन्म का अहसास ढूँढता मैं।
पर्वतों की चोटियों पर, अपनी अदम्य इच्छाशक्ति को ढूँढता मैं,
गहरे समुद्र की लहरों में, जीवन के अथाह सागर का अर्थ ढूँढता मै
हर पल बदलते इस दौर में, मैं अपने लिए वक्त ढूँढता मैं,
लेखक : कुमार
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