top of page
Writer's pictureKUMAR@LIFESCRIPTED.ORG

जब मोड़ पे मिलती थी आंखें



अदृश्य सी आस थी, कि वह आँखों में तारों जैसी चमकदार मुस्कान की लहरें हमें भी छू लें।

इसी उम्मीद में गुज़ारे वह लम्हें, उस मोड़ पर जहाँ आपके कदम हर रोज़ पड़ते थे।

तपती धूप में और बरसात की उस शीतलता में भी, वही मोड़ पे बेचैनी से इंतजार करते रहे हम।

कश एक झलक आपकी मिल जाती, और आपकी मुस्कान की वही मिठास हमें भी छू जाती।

वह बचपन की अधूरी सी तमन्ना अब भी दिल में सजी है।


जाने पर भी, वह मोड़ आपको अंजान सा क्यों लगा? क्या दुनिया के डर से

था या किसी अधूरी कहानी का अंत था।

इस दिल की किताब का पन्ना तभी पलटा जब आपको वहाँ देखा।

चाहा तो आपका नाम उस पन्ने पर उकेरना था, पर जमाने के डर में आप दूर हो गए।

जानते हुए भी हम अजनबी बन गए, शायद इस दिल की धड़कन में वह ताकत नहीं थी, जो आपको पुकार सकती।


रात की गहरी चादर में, भगवान से यही दुआ की थी कि वह मोड़ पर फिर से आप से मुलाकात हो।

थोड़ी सी मुलाकात, थोड़ी सी मुस्कान, और वह दिल में फैलती महक।

लेकिन हर रोज़ वही तन्हाई और अधूरापन में ढलता वह सूरज।

एक गहरा राज़ था उस मोड़ पर, जिसे आप लेकर चले गए।

आपकी आँखों में जो राज़ छुपा था, क्या वही था जो हमें बार-बार उस मोड़ पर ले आता?

उस दिन का इंतजार, जब वह मोड़ हमें आप तक पहुँचाता।

हवाओं में भी आपकी ख़ुशबू महसूस होती, जैसे आप ही हवा के साथ उड़ कर आ रहे हो।

हर शोर में, हर सन्नाटे में, आपकी मौजूदगी का अहसास होता था।


वह मोड़ अब भी सुना है, जैसे उसकी भी तलाश है आपकी।

आसमान में जब तारा टूटता है, हम समझते हैं की शायद आप भी हमें देख रहे हो।

हर बार जब भी वह मोड़ पे जाते, आशा होती है की शायद आज आपकी झलक मिल जाए।

कितनी बार तो ख़याल आता है, की उस मोड़ के पार शायद आप ही मिलें।


फूलों की तरह, हर रोज़ में खिलना चाहता था वह आस।

पर जैसे उस मोड़ पे ज़िंदगी रुक सी गई थी, आपकी तलाश में।

हर पल, हर घड़ी, उस मोड़ की सड़क पे आपके आने की गूंज सुनाई देती।

जब भी पवन चलती, जैसे आपके संग एक अदृश्य गीत गा रही होती।


उस मोड़ के अधूरे सपने और आपकी यादों के धूप-छाँव में, हम अब भी जी रहे हैं।

शायद ज़िंदगी की अगली सड़क पे, वही मोड़ और आपकी आँखों की चमक हमें फिर से मिले।


लेखक : कुमार

www.lifescripted.org



26 views0 comments

Commentaires


bottom of page