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तुम क्यों सोचती हो कि तुम खूबसूरत नहीं हो?
'खूबसूरत' शब्द दो शब्दों से बना है:
'खूब' और 'सूरत', जो केह रहा है कि
जिसका खूब सारा चेहरा है वह खूबसूरत है,
नाकि तुम्हारे चेहरे के रंग रूप से। खूबसूरती का संबंध बिलकुल नहीं है।
खूबसारे चेहरे बनाने का मतलब तुम समझ लो।
दुनिया में जो लोग तुम्हें बदसूरत कह रहे हैं, वे तो आईने हैं बस।
आईने में जो भावना तुम प्रकट करोगी, वही तुम्हें दिखेगा।
हंसोगी तो हंसती हुई दिखोगी, रोओगी तो रोती हुई दिखोगी।
इन आईनों में देखने से अच्छा, अपने आंदर झांक लो।
अपनी आंदर छुपी हुई ताकत को पहचान लो।
कुछ है तुममें, ऐसे ही भगवान ने तुम्हें धरती पर नहीं भेजा होगा।
उस कारण को ढूंढने के लिए समय देकर देखो।
जबरदस्ती आईनों को खुश करने के लिए लाली पोत करके खड़ी मत हो जाओ।
तुममें कुछ है, उसे पहचानो। खूबसारे सूरत जो तुम्हारे आंदर हैं, उन्हें ढूंढने में लग जाओ।
तुम्हारे आंदर छुपी कला को खोज लो और उसे निखार लो।
तुम्हारे आंदर छुपा नृत्य को खोजो और उसे निखार लो।
तुम्हारे आंदर छुपी रंगों की पहचान से एक नई चित्रकला बना लो।
तुम्हारे आंदर छुपे शब्दों के ज्ञान से एक नई कविता लिख लो।
तुम्हारे अपने एहसास की कल्पना से एक कहानी लिख दो।
तुम्हारे हाथों में वो जादू है, उससे एक अच्छा पकवान बनाओ।
जरूरी नहीं कि कुछ नया ही करो, जो काम करो ध्यान से करो,
चाहे वह काम दफ्तर या घर का ही क्यों न हो।
ऐसी विभिन्न सूरतें अपनी बनाओ कि आईने को तुम्हें चुनने का मौका दे।
अब तक तो सिर्फ आईने के पास चुनाव का मौका था, अब उसे
चुनने के लिए कलाकार, नृत्यकार, कवि, ऐसे अलग-अलग विकल्प हैं।
अब वह चुनेगा किस सूरत में खूबसूरती कौन है
और तुम खुद भी जानोगे कि किस कला या काम के साथ आप खूबसूरत हो।
जब बात खूबसूरती की हो, तो वह सिर्फ आँखों से नहीं, दिल से भी महसूस की जाती है।
खूबसूरती केवल त्वचा की चमक में नहीं, बल्कि हर व्यक्ति की सोच और उसकी मानवता में भी होती है।
हर मुस्कान, हर अच्छा काम, हर सजीव के प्रति की गई अच्छी भावना, यह सब भी खूबसूरती का हिस्सा है।
असली खूबसूरती वह है, जो आपके अंदर की अच्छाई में छुपी है, जिसे दुनिया के हर कोने में महसूस किया जा सकता है।
खुश रहे सदा
लेखक :कुमार
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