जिन्हे बोलना था वो चुप है
जिन्हे बोलना था वो चुप है, क़दमों की आहटों से होता था जो दुर, अब सुने हैं सिर्फ़ सन्नाटे, उनकी आवाज़ दिल के क़रीब थे पहले, अब खामोश है।...
जिन्हे बोलना था वो चुप है
"आधुनिकता की चालों में खोते विश्वास और जीवन के अदृश्य चमत्कार, भरोसे की अनछूई राहत की खोज"
सफर
कुछ अनसुनी रचना आप के लिए
तुम बेवफा निकले,और हम बेवकूफ।
कुछ खुशियाँ और गम के पल यादों के खाते में बेहिसाब जुड़ जाते हैं।
जागे हैं देर तक, हमें कुछ देर सोने दो,
बदलाव को गले लगाना ,खुद की खोज की यात्रा